आजमगढ़ में 3 जुलाई को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के घर और कार्यालय का पूजन हुआ। अखिलेश ने इस इमारत का नाम PDA भवन रखा। इसके बाद 3 घटनाक्रम सबसे तेज हुए। पहला – सोशल मीडिया पर PDA हैश टैग के साथ प्रसारित किया गया कि अखिलेश के घर की पूजा कुशवाहा जाति के पंडित ने करवाई। दूसरा – पूजा कराने वाले पंडितों का सोशल मीडिया पर बहिष्कार शुरू हुआ। तीसरा – मैसेज पोस्ट किए गए कि काशी के एक पंडित ने अखिलेश के घर की पूजा कराने से इनकार किया। सवाल उठने लगे कि अखिलेश के आजमगढ़ के घर-कार्यालय के पूजन पर सियासत क्या पंडितों की जाति को लेकर है, या ये सपा बनाम भाजपा की लड़ाई है? क्योंकि 21 जून को इटावा में भागवत कथा में कथावाचक के ब्राह्मण नहीं यादव निकलने पर हंगामा हुआ था। इसके बाद आजमगढ़ के घर-कार्यालय की पूजा कराने पहुंचे, पंडित की जाति पर बवाल शुरू हुआ। ऐसे में दैनिक भास्कर ने पूजा कराने वाले 3 पंडितों को खोजा और उन्हीं से इस मामले को समझने का प्रयास किया। पढ़िए वो क्या कहते हैं… जिन पंडित चंदन पांडेय की जाति पर सबसे ज्यादा बवाल हुआ, उनकी बात समझिए… सवाल : आप चंदन कुशवाहा हैं या पांडेय, पहले ये स्पष्ट करिए?
चंदन : मेरा पूरा नाम चंदन पांडेय हैं। आजमगढ़ का रहने वाला हूं। मेरे माता-पिता ने दीक्षा के लिए मुझे काशी विद्यापीठ भेजा था। वहीं से मैंने सनातन संस्कार सीखे हैं। सवाल : अखिलेश के घर-कार्यालय की पूजा के बाद आपका बहिष्कार क्यों हो रहा है?
चंदन : मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि मैंने अपना कर्म किया। गुरुकुल में हमें सीख दी गई, पूरे समाज को एक नजर से देखना है। ब्राह्मण युग परिवर्तन का कारक होता है। ब्राह्मण के कर्म को देखकर ही दूसरी जातियां प्रेरित होती हैं। मैंने कुछ ऐसा नहीं किया कि जिससे मेरा और मेरे परिवार का अपयश हो, कोई विरोध हो। सबके प्रभु नारायण हैं, अगर कोई सोचता है कि मेरा बहिष्कार कर देगा, कोई मुझसे पूजा नहीं करवाएगा, तो ये गलत है। सवाल : क्या बहिष्कार का कोई असर आपको दिख रहा है?
चंदन : जी नहीं, सब वैसा ही चल रहा है। ऐसा नहीं है कि कोई मुझसे पूजा ही नहीं करवाएगा। हो सकता है कि बहिष्कार के बाद भगवान मुझे कुछ अच्छा देने वाले होंगे। जिसकी जैसी मानसिकता, वो वैसा काम कर रहा है। जिसकी नजर में मेरा कार्य गलत है, वो बहिष्कार कर रहा है। बाकी लोग सपोर्ट कर रहे हैं। मैं किसी जाति विशेष का विद्रोह नहीं कर सकता हूं। मैं सबका हूं, सब मेरे हैं। सवाल : पूजा पर सियासत हो रही, आपको इटावा से जोड़कर देखा गया?
चंदन : देखिए, लोगों ने मुझे लेकर लिखा कि मैं कुशवाहा हूं, जबकि मैं जाति से ब्राह्मण हूं। नाम के आगे पांडेय लिखता हूं। लोगों ने मेरे पूजा करने को इटावा पंडित वाले कांड से जोड़ दिया। मैं इन पोस्ट को कैसे सही मान लूं। जबकि इसमें कोई हकीकत नहीं। सवाल : लोग कह रहे हैं कि आपने अपनी जाति छिपाई थी?
चंदन : नहीं, बिल्कुल गलत है, कोई अपनी जाति क्यों छिपाएगा। जाति ही हमारी पहचान है, फिर चाहे क्षत्रिय हो, यादव हो..कोई भी हो। हम मुसीबत में होते हैं, तो जो लोग हमारी जाति के होंगे, वहीं सबसे पहले हमारे पास आएंगे। बहुत से यादव लोग हैं, जो कथावाचन करते हैं। हम यज्ञ कराने जाते हैं, तो क्या हम उनका विरोध कर सकते हैं। रही बात इटावा के मामले की। वहां भागवत कथा हो रही थी, वो अनुष्ठान है, उसमें ब्राह्मण की महत्ता होती है। अनुष्ठान में जाति छिपाना गलत है। वहां किसी ब्राह्मण को ही जाना चाहिए था। कथा तो कोई भी कर सकता है, वहां बाह्मण होने की महत्ता नहीं है। पंडित 2. विनय पाठक उर्फ गुंजन, आजमगढ़ ऐसे मैसेज से ठेस पहुंचती है, हमने अपना कर्तव्य किया
पूजा में मौजूद दूसरे पंडित विनय पाठक उर्फ गुंजन कहते हैं। सोशल मीडिया पर बहिष्कार के मैसेज नहीं पोस्ट करने चाहिए। इनसे हमें ठेस पहुंचती है, जिस प्रकार से एक मरीज अपने डॉक्टर के पास जाता है, दवा लेता है। तब वहां डॉक्टर उसकी जाति नहीं पूछता है। डॉक्टर पहले उसकी जांच करता है, दवा देता है। ये हमारा कर्तव्य था कि हम पूजा पाठ करवाएं। मगर हमारे कुछ बंधु गण इस पर तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। जोकि गलत है। पंडित 3. पंडित ऋषभ पाठक हम यजमान से जाति नहीं पूछते, सिर्फ पूजा करवाते हैं
पंडित ऋषभ पाठक कहते हैं- 3 जुलाई को सांसद धर्मेंद्र यादव घर-कार्यालय के पूजन में बैठे। हम कर्मकांड और पूजा पंडितों के साथ करते हैं, यजमान जहां भी बुलाते हैं, हम जाते हैं। सियासत से हमारा कोई मतलब नहीं है। हम करना भी नहीं चाहते, क्योंकि हमारा काम धर्म से जुड़ा हुआ है। मगर कुछ लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि पंडित ब्राह्मण नहीं…कुशवाहा थे, ये गलत है। हमारे सभी मित्र ब्राह्मण थे। फिर नेताजी अखिलेश आए, हमको सियासत से कोई मतलब नहीं था, पूजा करवाकर हम लोग चले आए थे। हमारे पास जो भी यजमान आते हैं, हम उनसे जाति नहीं पूछते हैं। सिर्फ पूजा के विषय में ही सवाल करते हैं। उनका जो कर्म होता है, उसको अपने ज्ञान के अनुसार ही करवाते हैं। इस कर्मकांड का राजनीति से कोई मतलब नहीं है। न किसी पार्टी से, न किसी नेता से..हमारा कोई लेनादेना नहीं है। PDA भवन की पूजा के बाद बहिष्कार के मैसेज चले अखिलेश ने कहा- बड़े कथावाचक का बजट बड़ा, इसलिए गरीब कथावाचक बुलाए
इस मामले की शुरुआत 3 जुलाई को आजमगढ़ में अखिलेश यादव के घर-कार्यालय में पूजा की सामने आई तस्वीरों से हुआ। यह जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर अनवरगंज में बना है। अखिलेश ने आजमगढ़ में 72 बिस्वा में नया भवन बनवाया है। उन्होंने गृह प्रवेश की पूजा की। अखिलेश ने इस भवन का नाम पीडीए रखा है। इसमें ऑफिस रूम, 3 पर्सनल कमरे, सेक्रेटरी के लिए ऑफिस और समर्थकों के लिए बड़ा हॉल बनाया गया है। कथावाचक के साथ जैसा व्यवहार किया गया, हम भूल नहीं सकते
गृह प्रवेश के बाद अखिलेश ने जनसभा को संबोधित किया। कहा- गरीब परिवार कथा कराना चाहता है, लेकिन बड़े-बड़े कथावाचकों का बजट आप जानते नहीं होंगे कि कितना होता है। इसीलिए उन्होंने गरीब कथावाचक बुलाए। आप जानते होंगे कि उनके साथ कैसा व्यवहार हुआ। ऐसा व्यवहार हम लोग कभी नहीं भूल सकते। इसीलिए समय-समय पर हम आप लोगों को जगाते हैं। ये भाजपा के लोग संविधान से नहीं चलना चाहते। इनका रास्ता कोई और है। इनका रास्ता वो है, जो कभी मनु महाराज आए थे। कुछ गड़बड़ किया था। ये लोग उनके रास्ते पर चलते हैं। इसके बाद सपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर लिखना शुरू किया- PDA समाज PDA जाति के पंडितों से ही पूजा भी करवाएगा। ब्राह्मण पंडितों से अब पूजा नहीं करवाई जाएगी। ताकि इटावा जैसी घटना दोबारा न हो। यही से मामला यूपी की सियासत में सुर्खियों में आया। अब इटावा की घटना भी जानिए
21 जून : भागवत कथा में मालूम हुआ कि कराने वाले ब्राह्मण नहीं इटावा में 21 जून से भागवत कथा शुरू हुई। शाम को पता चला कि कथावाचक ब्राह्मण नहीं, यादव है। इसके बाद हंगामा हो गया। कथावाचक को मारा-पीटा गया। उनकी चोटी काट दी गई। सिर मुंडवा दिया गया। एक महिला के पैरों में नाक रगड़वाई गई। इन सबका वीडियो बनाया। अगले दिन एक ब्राह्मण कथावाचक को बुलाया गया। उनसे भागवत करवाई गई। तभी पिछली रात वाले वीडियो वायरल हुए और हंगामा हो गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कथावाचक मुकुट मणि और संत सिंह यादव को लखनऊ बुलाया। उनकी मदद की। इसके बाद इटावा पुलिस एक्टिव हुई। 4 कथावाचकों के साथ बदसलूकी करने वाले 5 लड़कों को गिरफ्तार किया। इसके बाद यादव-ब्राह्मण वर्ग आमने-सामने हो गए। कथावाचकों के खिलाफ भी FIR हुई। ——————————- ये भी पढ़ें :
अखिलेश के सामने 93 साल के विधायक से धक्का-मुक्की, VIDEO:मंत्री राजभर के बेटे बोले- सपा में गुलाम मुस्लिमों का यही हाल आजमगढ़ में सपा के सबसे बुजुर्ग विधायक आलमबदी के साथ अखिलेश के सामने मंच पर धक्का-मुक्की हुई। इस घटना का वीडियो सामने आया है। विरोधी पार्टियों के साथ सोशल मीडिया यूजर्स जमकर निशाना साध रहे हैं। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने इसे गुलामी से जोड़ते हुए सपा पर तंज कसा। उन्होंने X पर लिखा, ‘अखिलेश यादव के सामने ईमानदार विधायक आलमबदी जी को धक्के देकर किनारे कर दिया। सपा में गुलामी करने वाले मुसलमानों का यही हाल है।’ पढ़िए पूरी खबर…

अखिलेश के घर की पूजा कराई, उनकी जाति पर बवाल:पंडित चंदन बोले- हम कुशवाहा नहीं, पांडेय हैं; जाति पूछकर पूजा नहीं कराते
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