अमेरिका को पशु-आहार बेचने की अनुमति दे सकता है भारत:9 जुलाई से पहले ट्रेड डील की कोशिश; समझौता ना होने पर 26% टैरिफ लगेगा 

अमेरिका के साथ होने वाली ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के लिए भारत अब कुछ जेनेटिकली मॉडिफाइड पशु आहार को इंपोर्ट करने की अनुमति दे सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें सोयाबीन मील और मक्का से बने डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं, जो पशुओं के चारे में इस्तेमाल होते हैं। इससे पहले ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई थी। ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा था।अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट भारत में सस्ते बिकें। वहीं भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं घटाना चाहती। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना मुश्किल हो जाएगी। यहां सवाल जवाब में जानें ट्रेड डील नहीं होने पर भारत को क्या नुकसान होगा… सवाल: भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड पशु आहार को आयात की अनुमति क्यों दे सकता है? जवाब: भारत चाहता है की जल्दी से जल्दी दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो सके जिससे भारत के उत्पादों पर भारी टैरिफ ना लगे। वहीं अमेरिका इस समझौते के लिए GM फसलों से बने पशु आहार के आयात की इजाजत​​​​​​​ देने के लिए दबाव बना रहा है। ​​​​​​​​​​​​​​ सवाल: ये ट्रेड डील क्या है और इसका मकसद क्या है? जवाब: ये भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम करके व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। भारत चाहता है कि उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और कुछ इंजीनियरिंग सामान पर अमेरिका में जीरो टैक्स लगे, जबकि अमेरिका अपने कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए भारत में बाजार चाहता है। सवाल: इस डील की डेडलाइन कब है? जवाब: डील को 9 जुलाई 2025 तक फाइनल करने की कोशिश है। अगर इस तारीख तक कोई सीमित समझौता नहीं हुआ, तो भारत के सामान पर अमेरिका 26% शुल्क लगा सकता है। सवाल: अमेरिका की मांगें क्या हैं? जवाब: अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वो मेडिकल डिवाइसेज पर टैरिफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों, और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है। सवाल: भारत ने मांगों के जवाब में क्या कहा है? जवाब: भारत ने अमेरिका की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, खासकर कृषि और डेयरी बाजार खोलने की मांग को। भारत का कहना है कि इससे लाखों गरीब किसानों को नुकसान होगा। भारतीय उत्पाद, अमेरिकी उत्पादों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे। भारत ने कहा है कि अगर अमेरिका ने स्टील और ऑटोमोबाइल पर शुल्क लगाए, तो हम भी जवाबी शुल्क लगाएंगे। सवाल: भारत डील में अपनी तरफ से क्या चाहता है? जवाब: भारत चाहता है कि अमेरिका उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क हटाए या कम करे। भारत ने शुरू में शून्य शुल्क की मांग की थी, लेकिन अब कम से कम 10% बेसलाइन टैरिफ पर सहमति की उम्मीद है, जो अमेरिका सभी देशों पर लागू कर रहा है। सवाल: अगर डील नहीं हुई तो क्या होगा? जवाब: अगर 9 जुलाई तक कोई डील नहीं हुई, तो अमेरिका भारत के सामान पर 26% शुल्क लगा सकता है, जिसमें टेक्सटाइल, दवाइयां, और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा। भारत भी जवाब में अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ा सकता है, जिससे व्यापार तनाव बढ़ सकता है। सवाल: डील में अब तक क्या बातचीत हुई है? जवाब: बातचीत अभी चल रही है। जून 2025 में दिल्ली में हुई चर्चाओं में डिजिटल ट्रेड और कस्टम्स सुविधा जैसे मुद्दों पर सहमति बनी। भारत कुछ कृषि उत्पादों और गाड़ियों पर शुल्क कम करने पर विचार कर रहा है, बशर्ते अमेरिका भारत के टेक्सटाइल और जूते जैसे सामानों पर 10% शुल्क दे। लेकिन GM फूड और डेयरी जैसे मुद्दों पर रुकावट बनी हुई है। सवाल: डील में आगे क्या हो सकता है? जवाब: भारत और अमेरिका दोनों डील को जल्दी फाइनल करना चाहते हैं, लेकिन भारत अपने किसानों और स्थानीय उद्योगों की रक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। अगर डील नहीं हुई, तो भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ के खिलाफ शिकायत कर सकता है। दोनों देश शायद तीन चरणों में डील को पूरा करने की कोशिश करेंगे, जिसमें पहला चरण जुलाई तक, दूसरा सितंबर-नवंबर तक, और तीसरा अगले साल हो सकता है। 

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