एस्ट्रोनॉट शुभांशु के स्कूल को मिला फाइनल अल्टीमेटम:JD बोले- RTE के तहत हर हाल में देना होगा एडमिशन, स्कूल टालमटोल कर रहे हैं 

​लखनऊ में RTE के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में एडमिशन दिलाने के लिए शिक्षा विभाग के अफसरों को एड़ी चोटी तक का जोर लगाना पड़ रहा है। बावजूद इसके निजी स्कूल एडमिशन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। सबसे हैरत की बात ये है कि राजधानी के सबसे बड़े और नामी स्कूल ही दाखिला न देने वाले स्कूलों की लिस्ट में टॉप पर हैं। कुछ यही कारण है कि प्रदेश भर में RTE के तहत दाखिलों के मामले में लखनऊ फिसड्डी साबित हो रहा है। राज्य स्तरीय RTE के प्रभारी की मानें, तो राजधानी में RTE के तहत टोटल अलॉटमेंट में कुल 18,093 स्टूडेंट्स के दाखिले होने थे। इनमें करीब 11,915 के दाखिले हुए। इस हिसाब 66% बच्चों को एडमिशन मिला। श्रावस्ती, प्रतापगढ़, ललितपुर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच जैसे जिलों में 90% से ज्यादा बच्चों को दाखिला मिल चुका है। लखनऊ में RTE के तहत दाखिला न देने वाले स्कूलों में सबसे चर्चित नाम एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के स्कूल CMS का है। यहां की 15 ब्रांच को शिक्षा विभाग की तरफ से बीते सप्ताह 15 दिन का फाइनल अल्टीमेटम दिया गया है। इसी स्कूल की अलीगंज ब्रांच से शुभांशु शुक्ला ने पढ़ाई की है। इस स्कूल की LDA कॉलोनी ब्रांच में शुभांशु शुक्ला की लॉन्चिंग और लैंडिंग की लाइव टेलीकास्ट दिखाई गई थी। CMS के खिलाफ शिक्षा विभाग ने अब कड़ा रुख अपनाया है। एडमिशन न देने वाले स्कूलों के खिलाफ होगी कार्रवाई लखनऊ के संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा प्रदीप कुमार कहते हैं कि अभी तक लखनऊ के 18 स्कूलों को मेरी तरफ से नोटिस जारी की गई है। इनमें गोमती नगर का सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल, विश्वनाथ एकेडमी, बाल गाइड स्कूल और CMS की 15 ब्रांच शामिल हैं। ये नोटिस एडमिशन न देने वाले स्कूलों के लिए फाइनल अल्टीमेटम की तरह है। इनको हर हाल में बच्चों का एडमिशन करना होगा, यदि एडमिशन नहीं करेंगे तो RTE की गाइडलाइन के तहत कार्रवाई होगी। स्कूलों को किसी भी सूरत में कोई छूट नहीं मिलेगी। CMS की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला संयुक्त निदेशक कहते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल RTE के दाखिलों की संख्या अधिक है। ऐसे में समय के साथ जागरूकता बढ़ रही है। पर इस पहल में जो स्कूल अड़ंगा लगाएंगे उनके खिलाफ जरूर कार्रवाई होगी। बीते सप्ताह विभाग की तरफ से फाइनल नोटिस इन स्कूलों को भेजी गई थी। जिनमें से विश्वनाथ एकेडमी ने 10 में से 9 बच्चों को दाखिला देने की बात कहीं है। जयपुरिया स्कूल ने भी 10 में से 3 बच्चों को एडमिशन दिया है। CMS की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। जो जवाब आएगा, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी। ये निजी स्कूल खुलेआम कर रहे उल्लंघन लखनऊ की एडीएम ज्योति गौतम कहती हैं कि CMS स्कूल की सबसे ज्यादा ब्रांच है। ये RTE के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ये RTE के प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। जीडी गोयनका और जयपुरिया जैसे कई और स्कूल भी जो RTE के तहत एडमिशन नहीं दे रहे। इन सभी की पहचान कर ली गई है। इनको हम हर हाल में दाखिला लेने के लिए बाध्य करेंगे। उन्होंने बताया कि RTE के तहत एडमिशन न देने वाले इन स्कूलों के खिलाफ जुर्माना के अलावा मान्यता रद करने की कार्रवाई भी की जाएगी। कुल मिलाकर ये समझना चाहिए कि जो भी स्कूल संचालित है, उसे RTE के तहत दाखिला देना पड़ेगा। एस्ट्रोनॉट शुभांशु के स्कूल का भी नाम एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के स्कूल का नाम भी इस लिस्ट में होने के सवाल पर एडीएम ज्योति कहती हैं कि CMS के तो ज्यादातर स्कूलों में RTE के तहत दाखिला नहीं दिया गया है। ऐसे में पूरी संभावना है कि वो जिस स्कूल से पढ़े हो उसका भी इसमें नाम हो। स्कूलों ने दिया ये तर्क.. लखनऊ के सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी सुरेंद्र पांडेय कहते हैं कि 10 में से 4 बच्चों को एडमिशन दिया गया है। बाकी को भी रिव्यू किया जा रहा है। सुशांत गोल्फ सिटी के जीडी गोयनका स्कूल के सर्वेश गोयल कहते हैं कि RTE के तहत एडमिशन देने का अब कोई इशू नहीं है। स्कूल का नाम आया था पर सभी बच्चों को एडमिशन दे दिया गया है। CMS के प्रवक्ता ऋषि खन्ना कहते हैं कि नियमों के तहत सभी को दाखिला दिया जाएगा। हालांकि, नोटिस के सवाल पर वो कुछ भी बोलने से बचते दिखे। निजी स्कूलों को समय नहीं हो रही शुल्क प्रतिपूर्ति अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल कहते हैं कि यूपी के अधिकांश निजी स्कूल RTE के तहत छात्रों को प्रवेश दे रहे हैं, तभी लगभग 6 लाख 15 हजार बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन निजी स्कूलों की डिमांड पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बीते 8 सालों से निजी स्कूल सरकार से RTE अधिनियम की धारा 12 (2), नियम 8(2) में दिए गए प्रावधान के अनुसार शुल्क प्रतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं। जो कहता है कि सरकारी स्कूलों में प्रतिमाह प्रति छात्र व्यय की जाने वाली धनराशि अथवा निजी विद्यालयों की फीस जो भी कम है वह धनराशि भुगतान के रूप में दी जाएगी। पिछले 11 वर्षों से 450 रुपए प्रतिमाह की धनराशि प्रतिपूर्ति के रूप में दी जाती है, वह भी समय से उपलब्ध नहीं होती है। दावा- कोर्ट ने पक्ष में दिया निर्णय अनिल अग्रवाल का कहना है कि ये धनराशि RTE कानून के तहत गलत है। उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को प्रतिपूर्ति के संदर्भ में दिशा निर्देश भी दिया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह निजी विद्यालयों को स्वीकार्य नहीं है। 

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