भारतीय नौसेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया का हरियाणा से नाता है। उनका पुश्तैनी गांव हरियाणा के हिसार का लाडवा है। इस गांव में एक कुर्सीनामा (पुश्तैनी रिकॉर्ड) मौजूद है। इस कुर्सीनामा में जिक्र है कि गांव लाडवा को बसाने वाले नेता पूनिया की 15वीं पीढ़ी हिसार से यूपी चली गई। अखिल भारतीय सर्वजातीय पूनिया खाप के हरियाणा प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार इसी लाडवा गांव से हैं। वह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में 5 गांव पूनिया गोत्र के हैं। हिसार के लाडवा गांव से गए पूनिया गोत्र के लोग वहां जाकर बस गए। लाडवा से निकलकर पहले नेक गांव गए, यहां करीब 52 हजार बीघा जमीन पूनिया गोत्र के लोगों के पास थी। इसके बाद सरुरपुर खुर्द गांव में बसे। वहां से टिमकिया, रघुनाथ पुर और सावदा बसाया था। शमशेर लाडवा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके गांव से संबंध रखने वाले परिवार की बेटी ने इतना बड़ा मुकाम पाया है। पूनिया खाप बेटी को सम्मानित करेगी और पूनिया रत्न अवॉर्ड भी देगी। शमशेर लाडवा ने कहा कि अभी बेटी विशाखापट्टनम में है। संभवत माता-पिता भी बेटी के पास गए हुए हैं। दादा बोले- लाडवा के बाद भिवानी के मंधाना में गए थे पूर्वज
आस्था पूनिया के दादा बुद्ध सिंह चौधरी ने बताया कि उनका पैतृक गांव हिसार का लाडवा है। इसके बाद उनके पूर्वज भिवानी के गांव मंधाना चले गए थे। वहां से वह यूपी आ गए। अब लाडवा में उनके परिवार का कोई नहीं रहता, वह कभी लाडवा नहीं आए। उन्होंने बताया- आस्था बचपन से ही बड़ी होनहार थी। गांव आती थी तो मुझसे सेना के बारे में पूछती थी। बचपन में जब आसमान में हवाई जहाज उड़ते हुए देखती थी तो बोलती थी- दादू… एक दिन मैं भी जहाज उड़ाउंगी। आज उसने अपना सपना साकार कर लिया। यह है लाडवा गांव का इतिहास
लाडवा गांव में मौजूद कुर्सीनामा के अनुसार, नेता पूनिया ने लाडवा गांव को बसाया था। इसके बाद उनका बेटा जलिया पूनिया हुआ। जलिया का बेटा कलिया हुआ और उनका परिवार आगे बढ़ा। कलिया के दो बेटे हुए फेरन और जब्दर। फेरन के तीन लड़के हुए। सरिया, जालब, पुसा। पुसा का बेटा था रावल। दादा रावल ही वह शख्स थे जो गांव लाडवा से उत्तर प्रदेश गए और वहां गांव नेक गांव में जाकर बस गए। आस्था का हरियाणा से जुड़ाव रहा है
हरियाणा से जुड़ी आस्था पूनिया भारतीय नौसेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनी हैं। आस्था पूनिया को विंग्स ऑफ गोल्ड सम्मान दिया गया है। अब वह लड़ाकू विमानों की पायलट बन गई हैं। आस्था के माता-पिता सरकारी टीचर हैं। परिवार में एक छोटा भाई भी है। वह भी सेना की तैयारी कर रहा है। फैमिली पिछले 12 साल से मुजफ्फरनगर में रह रही है। शुरुआत से ही आस्था का सपना सेना में जाने का था। उन्होंने नेवी में जाने के लिए मल्टी नेशनल कंपनी में 21 लाख रुपए के पैकेज को भी ठुकरा दिया था। 3 जुलाई को विशाखापट्टनम स्थित आईएनएस डेगा में द्वितीय बेसिक हाक कन्वर्जन कोर्स का समापन हुआ, जिसमें आस्था को विंग्स ऑफ गोल्ड सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें रियर एडमिरल जनक बेवली ने सौंपा। यह सम्मान सिर्फ नेवी के लड़ाकू विमानों के पायलटों को प्राप्त होता है। घर में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल
आस्था के पिता अरुण पूनिया मुजफ्फरनगर के सरधना स्थित नवोदय विद्यालय में गणित के अध्यापक हैं। मां संयोगिता चौधरी भी प्राथमिक विद्यालय में सरकारी शिक्षिका हैं। छोटा भाई अनमोल अभी पढ़ाई कर रहा है। आस्था ने मुजफ्फरनगर के गिरधारी लाल पब्लिक स्कूल से 10वीं और एसडी पब्लिक स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ कॉलेज से बीटेक किया। परिजनों के अनुसार, वह हमेशा टॉपर रही। भाई भी टॉपर रहा। एयरफोर्स के लिए 21 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ी
आस्था के दादा चौधरी बुद्ध सिंह ने बताया- नवोदय विद्यालय में नौकरी लगने के बाद आस्था के पिता मध्य प्रदेश के अमरकंटक चले गए थे। वहीं आस्था का जन्म हुआ। वहीं से उसने 8वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद पिता मुजफ्फरनगर में पोस्टेड हो गए। आस्था ने राजस्थान से बीटेक करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में 21 लाख के पैकेज पर जॉइन किया था। मगर एक महीने बाद ही उसने रिजाइन कर दिया। वह शुरू से ही नेवी में जाना चाहती थी। 2 साल पहले उसका सीडीएस की माध्यम से नेवी में सिलेक्शन हो गया। वह 2 साल से सीडीएस की तैयारी कर रहीं थी। ऑपरेशन सिंदूर की कहानी के दो चेहरे व्योमिका सिंह व सोफिया कुरैशी का भी हरियाणवी लिंक
भारत के पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कहानी बताने वालीं दोनों महिला अधिकारियों भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी का भी हरियाणवी लिंक रहा। व्योमिका सिंह की ससुराल भिवानी के गांव बापोड़ा में है। उनके पति दिनेश सभ्रवाल भी वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। दिनेश सभ्रवाल के पिता प्रेम सभ्रवाल ईटीएओ से रिटायर्ड हैं और पांच भाई हैं। जब भी गांव में कोई बड़ा कार्यक्रम होता है तो व्योमिका सिंह व उनका परिवार आता है। वहीं, कर्नल सोफिया कुरैशी छह साल पहले हिसार मिलिट्री स्टेशन में तैनात रहीं। कर्नल सोफिया ने सिरसा बस स्टैंड के पास स्थित राजकीय नेशनल कॉलेज में प्लेसमेंट सेल की ओर से मोटिवेशन सेमिनार में 20 मिनट का मोटिवेशनल लेक्चर दिया था। जिसमें कहा था कि परिवार के एक सदस्य को सेना के लिए जरूर तैयार करें। भारतीय सेना में हर 10वां जवान हरियाणवी, दो सेनाध्यक्ष भी दिए
देश की आबादी में हरियाणा का हिस्सा करीब 2.09% ही है। गर्व की बात है कि देश के लिए सैन्य जवान देने में हरियाणा काफी आगे है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 10वां जवान हरियाणा का है। पिछले 25 साल में हरियाणा से करीब 75 हजार युवा सेना में भर्ती हुए हैं। हरियाणा ने देश को दो सेना अध्यक्ष भी दिए हैं। 24वें सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह भिवानी के गांव बापोड़ा और 26वें सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग झज्जर के गांव बिसहान के हैं।

देश की पहली महिला फाइटर पायलट का हरियाणा कनेक्शन:आस्था के पूर्वज हिसार के रहने वाले; खाप पूनिया रत्न से सम्मानित करेगी
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