‘मेरी दोनों बहनों को मौत की सजा मिले’:झांसी में भाई बोला- लकवाग्रस्त पिता को छोड़ प्रेमी संग चली गई थी पूजा, सास को मार डाला 

​पूजा 5 भाई-बहनों में सबसे छोटी और लाडली थी। सब उसे प्यार करते थे। मगर उसने इस प्यार के बदले हम लोगों को मुंह दिखाने लायक भी नहीं छोड़ा। पहले पति पर गोली चलवाई। फिर लकवाग्रस्त पिता को बिस्तर पर छोड़कर बॉयफ्रेंड कल्याण के साथ चली गई। प्रेमी की मौत के बाद जेठ से इश्क लड़ाया और अब बड़ी बहन व उसके प्रेमी से अपनी सास की हत्या करा दी। ऐसी बहनें किसी की न हो। इनका दुनिया में रहना बेकार है। दोनों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। यह कहना है झांसी में सास की हत्या कराने वाली पूजा के सगे भाई निरपत का। प्रेमनगर स्थित महावीरन मोहल्ला निवासी निरपत ने बताया- जब से पूजा बीमार पिता को छोड़कर गई थी, हम लोगों ने उससे मतलब रखना छोड़ दिया था। इसी वजह से कल्याण की मौत के बाद वो अकेली पड़ गई थी। मगर, कल्याण की मां सुशीला और पिता अजय प्रताप राजपूत ने सहारा दिया। उसे अपनी बेटी की तरह रखा। उसने सास की हत्या करके ठीक नहीं किया। घटना के बाद दैनिक भास्कर टीम पूजा के मायके पहुंची और उसके भइया-भाभी से पूजा के बारे में बातचीत की। पढ़िए रिपोर्ट पहले पूरा घटनाक्रम जानिए… बड़ी बहन और उसके प्रेमी को भेजकर सास की हत्या कराई 24 जून को टहरौली के कुम्हरिया गांव में सुशीला देवी (55) की हत्या हुई थी। पति अजय कुमार राजपूत ग्वालियर से घर आए तो बेड पर पत्नी की लाश पड़ी थी। हाथ-पैर बेड से बंधे थे और मुंह में कपड़ा ठूंसा था। जहरीले इंजेक्शन भी लगाए गए थे। हत्या के बाद 8 लाख के गहने और एक लाख कैश भी लूटा गया था। ग्रामीणों ने अजय को बताया था कि एक नकाबपोश महिला और एक युवक सुशीला से मिलने आए थे। पति ने बड़ी बहू रागिनी और उसके भाई आकाश पर हत्या का केस दर्ज करा दिया। मगर, रागिनी और उसका भाई शाम को सीधे थाने पहुंच गए और खुद को बेकसूर बताया। वहीं छोटी बहू पूजा जो ग्वालियर में बहन कामिनी के पास गई थी। वो सास की मौत के बाद भी घर नहीं आई। यहीं से पुलिस को शक हुआ। पुलिस ने पूजा को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो हत्या का खुलासा हो गया। पूजा 8 बीघा जमीन बेचकर ग्वालियर में रहना चाहती थी, मगर सास अड़चन डाल रही थी। तब उसने बहन कामनी और उसके प्रेमी अनिल वर्मा से हत्या करा दी थी। तीनों पकड़े गए और 8 लाख के गहने भी बरामद हो गए। भाभी ने कहा- हम पैरवी तक नहीं करेंगे पूजा की भाभी लीलादेवी ने कहा- मेरे ससुर रेलवे में लोको पायलेट थे। उनके दो बेटे और 3 बेटियां हैं। इसमें पूजा सबसे छोटी थी। जब वो 7 साल की थी तो मां की मौत हो गई। वो सबकी लाडली थी। 2014 में ससुर ने उसकी शादी की थी। भाभी ने बताया- पूजा का पति रेलवे में नौकरी करता था। 2016 में दोनों ओरछा जा रहे थे। रास्ते में पति पर गोली चल गई। आरोप पूजा पर लगा और वो करीब 6 महीने तक जेल में रही। ससुर ने उसकी जमानत कराई। कोर्ट में तारीख पर वो ससुर के साथ जाती थी। कुछ समय बाद ससुर को लकवा मार गया। इसके बाद वो अकेले ही तारीख पर जाने लगी। कुम्हरिया गांव के कल्याण पर भी चोरी-लूट के केस थे। वो भी तारीख पर आता था। कचहरी में दोनों की मुलाकात हो गई और दोनों प्यार करने लगे। भाभी ने बताया- एक दिन पूजा बोली कि मैं शादी कर रही हूं। कल्याण उसे घर से ले गया। वो अपने लगवाग्रस्त पिता को छोड़कर चली गई। उस दिन से हमने पूजा के साथ नाता खत्म कर दिया। हम कभी उसके ससुराल नहीं गए भाभी ने आगे कहा- पूजा जब से कल्याण के साथ गई, हमने मतलब नहीं रखा। 2019 में एक्सीडेंट में कल्याण की मौत हो गई। कल्याण के परिवार ने उसे अपने घर में आश्रय दिया। वहां सास-ससुर, जेठ-जेठानी के साथ रहने लगी। कुछ समय बाद उसके जेठ संतोष से संबंध हो गए और 3 साल पहले उनकी एक बेटी हो गई। उसके बाद बहुत कम ही पूजा मायके आई। हमने न उसकी पहली ससुराल देखी और न ही दूसरी। 24 जून को पूजा की सास की हत्या हो गई। तब पूजा अपनी बहन कामिनी के पास ग्वालियर में थी। खबर पढ़कर कामिनी को फोन लगाया। कामिनी ने सिर्फ दो शब्द कहे कि बाद में बात करती हूं। उसके बाद मेरी कोई बात नहीं हुई। बाद में पता चला कि पूजा ने कामिनी और अनिल से हत्या कराई है। सबको शर्मसार किया है भाभी ने आगे कहा- पूजा और कामिनी ने सास के साथ गलत किया है। अब जो सरकार को मंजूर हो वो करे। ऐसे लोगों का दुनिया में रहना बेकार है। जो सबको शर्मसार कर रही है। हमें इनसे कोई मतलब नहीं है। मैं इन दोनों पर कभी विश्वास नहीं कर सकती। भाई निरपत ने कहा- दोनों बहनों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। हमें उनसे कोई मतलब नहीं है। न ही हम पैरवी करेंगे। पैरवी के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। 22 साल पहले ट्रेन हादसे में मेरा हाथ कट गया था। बाद में पैर भी टूट गया। मैं कुछ कर नहीं सकता। बच्चे घर का खर्चा चला रहे हैं। ……………………………………………… ये खबर भी पढ़ें यूपी सरकार ने पुल नहीं बनाया तो महिलाएं बनाने लगीं:प्रशासन ने खतरा बता काम रोका; स्कूली बच्चे नदी पार करने के देते हैं रुपए यूपी के फतेहपुर जिले का कृपालपुर गांव। आबादी करीब 6 हजार। यहां पहुंचने के लिए रिंद नदी पार करनी होती है। इस नदी पर आज तक पुल नहीं बन सका। करीब 200 स्कूली बच्चे रोज सुबह नाव से इसे पार करते हैं। कोई बीमार हुआ तो भी उसे नाव से दूसरी तरफ लाना होता है। (पूरी खबर पढ़ें) 

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