सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (4 जुलाई) को सुनवाई के दौरान कहा जज नहीं न्याय में भगवान ढूंढ़िए। यह टिप्पणी जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने उत्तर प्रदेश के एक मंदिर मामले की सुनवाई करते हुए की। दरअसल, मामले की पैरवी कर रहे वकील ने केस से अलग होने की इजाजत मांगी थी। वकील का कहना था कि मुवक्किल उसके साथ कॉपरेट नहीं कर रहा है। साथ ही गंभीर आरोप लगाते हुए वकील को कानूनी नोटिस भेजा है। मुवक्किल ने नोटिस में कहा है कि वकीलों के जरिए जजों को फंसाया जा रहा है। इस पर जस्टिस सुंदरेश ने कहा, ‘ जज पब्लिक सर्वेंट होते हैं। हममें भगवान मत देखिए। प्लीज न्याय में भगवान देखिए।’ इस कमेंट के साथ बेंच ने वकील को मामले से हटने की इजाजत दे दी। पहले भी हो चुके हैं ऐसे कमेंट… पूर्व CJI बोले- जज देवताओं की तरह पूजनीय नहीं
भारत के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भी 2024 में ऐसी ही टिप्पणी की थी। वे कोलकाता के एक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा था जजों की भूमिका लोगों की सेवा करना है, न कि देवताओं के रूप में पूजनीय होना। पूर्व CJI ने कहा था, ‘कई बार, हमें लॉर्डशिप या लेडीशिप के रूप में संबोधित किया जाता है। जब लोग कहते हैं कि कोर्ट न्याय का मंदिर है, तो यह बहुत गंभीर खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जज खुद को उन मंदिरों में देवताओं के रूप में देखेंगे।’ केरल हाईकोर्ट बोला- बेंच में कोई भगवान नहीं बैठा
केरल हाईकोर्ट ने 2023 में भी इस बात पर जोर दिया था कि जजों को भगवान की तरह नहीं माना जाना चाहिए। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा था, ‘आमतौर पर अदालत को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है, लेकिन बेंच में कोई भगवान नहीं बैठा है। जज अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों का पालन कर रहे हैं।’ ————————————————- सुप्रीम कोर्ट के कमेंट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- भारत धर्मशाला नहीं, जो सबको शरण दे; श्रीलंकाई नागरिक की याचिका खारिज सुप्रीम कोर्ट ने श्रीलंकाई शरणार्थी से जुड़े एक मामले में कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। दुनियाभर से आए शरणार्थियों को भारत में शरण क्यों दें? हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। हम हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण नहीं दे सकते। पूरी खबर पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट केंद्र से बोला- चुनाव के वक्त फ्रीबीज का ऐलान गलत, ऐसा करके परजीवियों की जमात खड़ी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के वक्त की जाने वाली मुफ्त की योजनाओं पर कहा, ‘लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं।’ कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इन लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की बजाय, क्या आप मुफ्त की योजनाएं लागू करके परजीवियों की जमात नहीं खड़ी कर रहे हैं? पूरी खबर पढ़ें…

सुप्रीम कोर्ट बोला- न्याय में भगवान देखिए, न्यायाधीश में नहीं:मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने कहा था- हमें अपने जजों में भगवान दिखता है
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