लालू यादव 13वीं बार RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। शनिवार को पटना के बाबू सभागार में RJD की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसका ऐलान किया गया। वे 2028 तक RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुके गए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद लालू यादव और राबड़ी ने कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। अधिवेशन की अध्यक्षता पार्टी के राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. रामचंद्र पूर्वे ने की। लालू यादव ने बीते 23 जून को पटना स्थित पार्टी कार्यालय में अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। उनके खिलाफ किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं किया। इसके बाद निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. पूर्वे ने उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिया था। कार्यक्रम में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक और प्रदेश भर से आए कार्यकर्ता शामिल हैं। 5 जुलाई 1997 को बनी थी RJD RJD का गठन 5 जुलाई 1997 को हुआ था। उस वक्त लालू प्रसाद यादव तत्कालीन जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री थे। नब्बे के दशक की शुरुआत से शुरू हुई चारा घोटाले के जांच की आंच लालू तक पहुंच चुकी थी। CBI ने जांच के बाद लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली थी। घोटाले के बड़े आरोप के बीच जनता दल का एक धड़ा लालू पर पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बना रहा था। लालू ने मौके की नजाकत को समझा और आनन-फानन में अपने विश्वासपात्रों की बैठक बुलाई। इस बैठक में लालू का समर्थन करने वाले 17 लोकसभा और 8 राज्यसभा सदस्य शामिल हुए। बैठक में तय हुआ कि जनता दल का दामन छोड़कर अब नई पार्टी का गठन किया जाए। सहयोगियों का समर्थन मिला तो लालू भी तैयार हो गए। राष्ट्रीय जनता दल के गठन का ऐलान किया गया और लालू को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। लालू की इस पार्टी को लालटेन चुनाव चिह्न मिला. जिस पर लालू यादव ने दावा किया कि ये लालटेन ही गरीब की कुटिया में रोशनी लाएगी और समाजवाद का नारा बुलंद करेगा। पार्टी गठन के समय कौन-कौन नेता थे पार्टी के गठन के समय लालू प्रसाद यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह सहित 17 लोकसभा सांसद और 8 राज्यसभा सांसदों की मौजूदगी में काफी संख्या में समर्थकों का जुटान हुआ था। पार्टी के स्थापना काल से ही लालू प्रसाद यादव ही इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पार्टी गठन के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए लालू प्रसाद ने कहा था कि ‘हमारी पार्टी ओरिजिनल पार्टी होगी।’ नई पार्टी बनाने के कुछ ही दिन बाद लालू प्रसाद ने नई राजनीतिक चाल चलते हुए 24 जुलाई, 1997 को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। लालू प्रसाद ने एक साथ दो काम किए। अपनी अलग पार्टी बना ली और अपनी सत्ता भी बचा ली। मेरे बेटे लालटेन ही उठाएंगे लालू प्रसाद ने साल 1997 से साल 2005 तक अपनी पार्टी को बिहार की सत्ता में रखा। बीच में 7 दिनों के लिए नीतीश कुमार सत्ता में आए। 2015 से 2017 और 2022 से लेकर 28 फरवरी 2024 तक नीतीश के साथ रहे। अपने बेटों के बारे में लालू प्रसाद साफगोई से कह चुके हैं कि ‘मेरे बेटे लालटेन ही उठाएंगे, नीतीश अपने बेटे का बारे में सोचें।’ तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद ने डिप्टी सीएम बनवाया और तेजप्रताप यादव को मंत्री। आरजेडी से तीसरी बार बड़ी बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से टिकट दिया और वह दो बार हारने के बाद तीसरी बार पाटलिपुत्र सीट से जीतकर सांसद बनी। उन्हें लालू प्रसाद ने दो बार राज्यसभा भी भेजा। लालू प्रसाद ने तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना दिया है! पूरे लोकसभा चुनाव में आरजेडी के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव ही थे। RJD का सियासी सफर RJD के गठन के वक्त बिहार की सियासत में भारी उथल-पुथल का माहौल था। चारा घोटाला मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। विपक्ष के साथ-साथ जनता दल के एक धड़े का भी लालू पर दबाव था। ऐसी स्थिति में लालू ने राष्ट्रीय जनता दल बनाया और गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू बिहार की बागडोर पत्नी राबड़ी को सौंप कर जेल चले गए। RJD को कब कितनी सीटें मिलीं

13वीं बार RJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने लालू यादव:राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हुआ ऐलान; 23 जून को अध्यक्ष पद के लिए किया था नामांकन
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