ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी:वजूखाने के एएसआई सर्वे की मांग, हिंदू पक्ष ने वज़ूस्थल को शिवलिंग बताया, मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा कहा 

​वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग छोड़ कर वजूखाने के एएसआई सर्वे की मांग में याचिका दाखिल की गई है। श्रृंगार गौरी केस की पक्षकार राखी सिंह द्वारा सिविल रिवीजन याचिका दाखिल की गई है। 21अक्टूबर 2023 के वाराणसी सिविल कोर्ट के फैसले को राखी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूस्थल में मौजूद संरचना शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है। जानिए 5 मई को सुनवाई में क्या हुआ था वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में वजूखाना का ASI से सर्वेक्षण की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर दलीलें दी गईं। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय कर दी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले को सुना। दरअसल, उपासना स्थल कानून को लेकर दाखिल याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के कारण हाईकोर्ट ने भी सुनवाई टाल दी थी। पिछली सुनवाई में हिन्दू पक्ष के एडवोकेट सौरभ तिवारी ने हाईकोर्ट को बताया था कि उपासना स्थल कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी है। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को जवाब देने के लिए कहा-श्रृंगार गौरी केस में वादी राखी सिंह की तरफ से 21 अक्टूबर, 2023 को दिए गए जिला जज वाराणसी के फैसले के खिलाफ सिविल रिवीजन याचिका दायर की गई है। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग छोड़कर वजूखाने के एएसआई सर्वेक्षण की मांग को लेकर सिविल रिवीजन (सिविल पुनरीक्षण) याचिका दाखिल है। कोर्ट ने ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर दूसरे पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जवाब देने का आदेश दिया। दो साल पहले कथित शिवलिंग मिलने के बाद वजूखाने को सील कर दिया गया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से इसे फव्वारा बताया जाता है लेकिन हिंदू पक्ष इसे शिवलिंग होने का दावा कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश से अदालतों को सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया गया है। 

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