महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने ‘मराठी एकता’ पर मुंबई के वर्ली डोम में रैली की। 20 साल बाद दोनों नेता एक साथ मंच पर नजर आए। इस मौके पर दोनों की तरफ से आगे साथ राजनीति के संकेत दिए गए। राज ठाकरे ने कहा , ‘मैंने अपने इंटरव्यू में कहा था कि झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है। 20 साल बाद हम एक मंच पर आए हैं आपको दिख रहे हैं। हमारे लिए सिर्फ महाराष्ट्र और मराठी एजेंडा है, कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है।’ उद्धव ने कहा कि हमारे बीच की दूरियां जो मराठी ने दूर की सभी को अच्छी लग रही है। मेरी नजर में, हमारा एक साथ आना और यह मंच साझा करना, हमारे भाषण से कहीं ज्यादा अहम है। राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर मनसे बनाई थी। महाराष्ट्र में इस साल सितंबर तक निकाय चुनावों होने की संभावना है। ऐसे में दोनों के ये चुनाव साथ लड़ने की संभावनाएं जताई जा रही है। राज-उद्धव की 2 बड़ी बातें… उद्धव बोले- हमें शपथ लेनी होगी कि हमेशा साथ रहेंगे उद्धव ने कहा कि हम दोनों ने इसका अनुभव किया है कि किस प्रकार हमारा इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है, आज हम दोनों साथ हैं। आज हम एक हुए हैं, लेकिन दोबारा ये झगड़ा लगाने की कोशिश करेंगे ये उनकी आदत है। उन्होंने कहा- जिस महाराष्ट्र में हम रहते हैं, जहां हमारा जन्म हुआ इसे तोड़ने की कोशिश करेंगे तो ऐसा हम नहीं करने देंगे। आज हमें शपथ लेनी चाहिए हम दोनों एक साथ ही रहेंगे। इसकी शुरुआत आज से हुई है। राज-उद्धव को साथ 4 तस्वीरों में देखें… अब जानिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच फूट कैसे पड़ी थी 1989 से राजनीति में सक्रिय हैं राज ठाकरे 1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया। 2005 में शिवसेना पर उद्धव हावी होने लगे 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- ‘उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’ 2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी। राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी, MNS का ऐलान किया 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे के घर के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई। यहां राज ने समर्थकों से कहा, ‘मेरा झगड़ा मेरे विट्ठल (भगवान विठोबा) के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है। कुछ लोग हैं, जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं। इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बालासाहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, हैं और रहेंगे।’ 9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया। राज ने मनसे को ‘मराठी मानुस की पार्टी’ बताया और कहा- यही पार्टी महाराष्ट्र पर राज करेगी। ———————————————– ठाकरे परिवार से जुड़ी ये खबर पढ़ें… मुस्लिमों को ‘हरा जहर’ कहते थे बाल ठाकरे:बेटे को पार्टी सौंपी तो भतीजे ने बगावत की, शिंदे ने कैसे छीनी शिवसेना शिवसेना पार्टी शुरू हुए अभी साल भर बीता था। इसके टॉप लीडर थे बालासाहेब ठाकरे। बलवंत मंत्री को पार्टी का दूसरा बड़ा नेता माना जाने लगा था। शिवसेना के तमाम बड़े मंचों पर बाल ठाकरे के साथ बलवंत मंत्री जरूर दिखते थे। हालांकि, दोनों नेताओं में कुछ मतभेद होने लगे थे। पूरी खबर पढ़ें..

20 साल बाद ठाकरे परिवार एक साथ:उद्धव बोले- मराठी ने दूरियां खत्म की; राज बोले- फडणवीस ने वो किया जो बालासाहेब नहीं कर पाए
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