पलानीस्वामी बोले- तमिलनाडु में AIADMK ही बड़ा भाई:भाजपा से चुनावी समझौता, सरकार में गठबंधन नहीं होगा; अभिनेता विजय की पार्टी के लिए दरवाजे खुले 

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने शनिवार को साफ कर दिया कि तमिलनाडु में भाजपा के साथ गठबंधन में AIADMK ही बड़ा भाई है। उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो हम पर हावी नहीं हो सकती। AIADMK तमिलनाडु में 30 साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रही है। अगर गठबंधन 2026 के विधानसभा चुनाव जीतता है तो तमिलनाडु में कोई गठबंधन सरकार नहीं होगी और यह समझौता केवल चुनाव के लिए है। AIADMK सुप्रीमो का बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी नेता गठबंधन में भाजपा के हावी होने को लेकर आशंकित थे। हालांकि, इससे पहले भी पलानीस्वामी इस तरह की अटकलों को खारिज कर चुके हैं। अभिनेता विजय की पार्टी के लिए दरवाजे खुले
पलानीस्वामी ने घोषणा की कि AIADMK 7 जुलाई को कोयंबटूर से चुनावी अभियान शुरू करेगी। भाजपा का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि सभी गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित किया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या अभिनेता विजय की पार्टी TVK को आमंत्रित किया जाएगा, पलानीस्वामी ने कहा, ‘जो लोग DMK को सत्ता से हटाना चाहते हैं, उनका गठबंधन में स्वागत है।’ हालांकि, TVK ने 4 जुलाई को प्रस्ताव पारित कर विजय को पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। इस दौरान विजय ने कहा था कि पार्टी 2026 के तमिलनाडु चुनावों में DMK या भाजपा के साथ किसी तरह से गठबंधन नहीं करेगी। 3 महीने पहले हुआ था AIADMK-भाजपा गठबंधन
गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अप्रैल को चेन्नई में भाजपा और AIADMK के गठबंधन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि 2026 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव AIADMK प्रमुख ई पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। सीटों का बंटवारा बाद में चर्चा के बाद तय किया जाएगा। शाह ने कहा कि गठबंधन को लेकर AIADMK की कोई डिमांड नहीं है, न ही BJP उनके अंदरूनी मामलों में कोई हस्तक्षेप करेगी। पार्टी का NDA में शामिल होना दोनों के लिए ही बहुत फायदेमंद है। शाह बोले- अगला चुनाव DMK सरकार के भ्रष्टाचार, दलितों पर, महिलाओं पर अत्याचार के आधार लड़ा जाएगा। लोग डीएमके से घोटालों पर जवाब मांग रहे हैं, चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर जनता वोट देगी। सितंबर, 2023 में तब के तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई की कुछ टिप्पणियों की वजह से कारण अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) NDA से अलग हो गई थी। पिछले चुनाव में AIADMK-BJP गठबंधन को 75 सीटें मिली थीं
AIADMK ने लगातार दो कार्यकाल (2011-2021) तक तमिलनाडु में शासन किया। 2021 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में DMK ने राज्य की कुल 234 सीटों में से 159 पर जीत हासिल की थी। वहीं, AIADMK सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई थी। भाजपा ने 2 और अन्य दलों को 7 सीटें मिली थी। DMK की जीत के बाद, एमके स्टालिन राज्य के मुख्यमंत्री बने। उधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई की कुछ टिप्पणियों के कारण 25 सितंबर, 2023 को AIADMK और भाजपा गठबंधन टूट गया। लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली
भाजपा और AIADMK ने 2024 का लोकसभा चुनाव अलग-अलग गठबंधन में लड़ा, लेकिन डीएमके उस चुनाव में भी जीत गई। इसे अन्नाद्रमुक और भाजपा के लिए झटका माना गया। तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं। सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की अगुआई में INDIA गठबंधन ने सभी सीटों पर जीत दर्जकी है। डीएमके को 22, कांग्रेस को 9,सीपीआई, सीपीआई(एम) और VCK को 2-2 और MDMK और IUML को एक-एक सीट पर जीत मिली है। पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी की भी एक सीट पर कांग्रेस की जीती है। AIADMK और भाजपा के नेतृत्व वाले NDA का खाता तक नहीं खुल सका। AIADMK और भाजपा अलग क्यों हुए थे
अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने 25 सितंबर 2023 को बीजेपी के साथ अपने रिश्ते को खत्म करते हुए NDA से निकलने की घोषणा की थी। इसका प्रमुख कारण तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के अन्नामलाई की राजनीति की अक्रामक शैली को माना गया। अन्नामलाई ने द्रविड़ियन दिग्गज सीएन अन्नादुरई पर टिप्पणी की थी। 11 सितंबर 2023 को अन्नामलाई ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री, पी.के. शेखर बाबू के सनातन धर्म के खिलाफ बयान के विरोध में आयोजित कार्यक्रम में सी.एन. अन्नादुरई के खिलाफ भी बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘अन्नादुरई ने 1950 के दशक में मदुरै में एक कार्यक्रम में हिंदू आस्था के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की थी, जिसका स्वतंत्रता सेनानी पसुमपोन मुथुमारलिंग थेवर ने कड़ा विरोध किया था। ‘अन्नामलाई के बयान के तुरंत बाद अन्‍नाद्रमुक नेता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ एकजुट हो गए।अन्नादुरई पर टिप्पणी के लिए AIADMK ने अन्नामलाई से माफी मांगने को कहा लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस पर AIADMK ने भाजपा नेतृत्व से अन्नामलाई को पार्टी की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने को कहा लेकिन भाजपा आलाकमान ने ऐसा नहीं किया। इसी के चलते AIADMKअलग हुए। 

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