यूपी में धर्मपाल सिंह को BJP बना सकती है अध्यक्ष:अखिलेश के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी, जानिए लोध समाज की ताकत 

​देश के कई राज्यों में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान होने के बाद अब नजरें राजनीति के लिहाज से सबसे अहम सूबे यूपी पर हैं। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 2026 में यहां पंचायत चुनाव भी हैं। ऐसे में पार्टी जातिगत आंकड़ों के गुणा-भाग में लगी है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यूपी में यदि पिछड़े वर्ग के नेता को अध्यक्ष बनाने का निर्णय किया तो पशुधन मंत्री धर्मपाल की ताजपोशी हो सकती है। धर्मपाल लोध समाज (लोधी समाज) के बड़े नेता हैं। 15 जुलाई तक यूपी में पार्टी के नए अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। ऐसे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2027 के मद्देनजर सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट के लिए पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पिछड़े वर्ग के नेता को ही अध्यक्ष बनाने पर मंथन कर रहा है। कौन नेता प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हैं? उनका जातिगत समीकरण क्या है? जानिए… पिछड़े वर्ग से ही अध्यक्ष बनाया जाएगा
राजनीति के जानकारों में चर्चा है कि यदि दिल्ली में किसी ब्राह्मण नेता को भाजपा अध्यक्ष बनाया गया तो यूपी में पिछड़े वर्ग से ही अध्यक्ष बनाया जाएगा। पिछड़े वर्ग में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा, राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य, राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति दौड़ में शामिल हैं। वहीं, ब्राह्मण समाज भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दबाव बना रहा है। समाज के नेताओं का तर्क है कि लोकसभा चुनाव में भी समाज भाजपा के साथ रहा है। समाज की आबादी के अनुपात में केवल एक डिप्टी सीएम का पद ही दिया गया है। जबकि क्षत्रिय समाज के पास कई महत्वपूर्ण पद हैं। ब्राह्मण समाज से राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, गौतमबुद्ध नगर के सांसद महेश शर्मा, मथुरा विधायक श्रीकांत शर्मा भी दौड़ में हैं। धर्मपाल सिंह की दावेदारी क्यों मजबूत?
धर्मपाल सिंह को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती का सबसे करीबी माना जाता है। धर्मपाल सिंह 2016 में भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार थे। लेकिन उस दौरान केशव प्रसाद मौर्य ने बाजी मारी थी। लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की सरकार बनने पर धर्मपाल सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। राजवीर सिंह ने किया था बीएल वर्मा का विरोध
राजनीति के जानकार बताते हैं कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा का नाम दौड़ में सबसे आगे था। लेकिन पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने उनका विरोध कर दिया। सूत्रों का कहना है कि राजवीर सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व को यहां तक कह दिया कि यदि बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो वह पार्टी भी छोड़ सकते हैं। लोध समाज में आज भी कल्याण सिंह परिवार का वर्चस्व माना जाता है। राजवीर सिंह और बीएल वर्मा की लड़ाई में धर्मपाल सिंह आगे निकल गए। धर्मपाल सिंह लोध समाज के बड़े नेता हैं। मौजूदा दौर में लोध समाज (लोधी समाज) के बीजेपी नेताओं में सबसे वरिष्ठ भी हैं। ये नेता भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में … वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का कहना है कि भाजपा चौंकाने वाले फैसले लेती है। ओबीसी में लोध समाज से पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा का नाम प्रबल है। दलित वर्ग से विद्यासागर सोनकर का नाम भी बड़ा है। लेकिन दावे के साथ कहा नहीं जा सकता है कि किसे अध्यक्ष बनाया जाएगा। बीजेपी नेतृत्व जातीय संतुलन और तात्कालिक चुनौतियों के मद्देनजर निर्णय लेगा। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट का कहना है कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का करीबी होगा। 2024 में पिछड़े और दलित वोट भाजपा से खिसक गया था। पिछड़े वर्ग में फिर पकड़ मजबूत करने के लिए भाजपा पिछड़े वर्ग से ही प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। ……………. ये खबर भी पढ़ें… धर्म जानने के लिए होटल कर्मचारियों की पैंट उतरवाई:यूपी में कांवड़ यात्रा से पहले हिंदू संगठनों ने चलाया चेकिंग अभियान एक लड़का हमारे होटल पर टॉयलेट साफ-सफाई करता था। वो उसको अंदर ले गए। धर्म पहचानने के लिए उसकी पैंट उतारी गई। वो पूछ रहे थे कि आप मुसलमान तो नहीं हो? मैं कहती हूं कि हमारा हाथ काटकर देखो। जब खून के रंग में फर्क नहीं तो और बाकी क्या फर्क है।’ यह कहना है होटल कर्मचारी सुमन का। कांवड़ यात्रा को लेकर दिल्ली-देहरादून हाईवे के होटल-ढाबों पर कुछ हिंदू संगठनों ने चेकिंग अभियान चलाया हुआ है। वो इस बात की चेकिंग कर रहे कि हिंदू या कॉमन नाम से खुले होटल-ढाबों के मालिक/कर्मचारी मुसलमान तो नहीं? इन संगठनों ने जिस होटल पर पहुंचकर जांच-पड़ताल की, वहां के 8 कर्मचारी दहशत के चलते नौकरी छोड़कर भाग गए। फिर रोजाना मीडिया का जमावड़ा लगने लगा। विवादों की वजह से संचालक ने होटल ही बंद कर दिया।पढ़िए पूरी खबर… 

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