कानपुर के 2 हजार घरों पर बाढ़ का खतरा:10 हजार लोग होंगे प्रभावित, बोले- रात में नींद नहीं आती, हर समय पानी दिखता है 

​कानपुर में गंगा नदी उफान पर है। नदी का पानी तेजी से चढ़ रहा है। इससे गंगा किनारे के 2 हजार घरों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। अभी यहां करीब 8 से 10 हजार लोग बाढ़ के खौफ में जी रहे हैं। गंगा किनारे के करीब 8 गांवों में रहने वाले लोगों की नींद उड़ी है। बाढ़ के साए में जी रहे लोग किm हालात में हैं? कैसे जिंदगी बिता रहे? लोगों के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम शहर से 12 किलोमीटर दूर ग्राउंड जीरो पर पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… रामा निहालपुर, नत्था पुरवा, बड़ा मंगलपुर, छोटा मंगलपुर, पहाड़ीपुर, रामपुर, दिबुनी पुरवा और चैनपुरवा गांव में हमारी टीम पहुंची। यहां के लोगों ने बताया- बाढ़ का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। मन में दहशत है कि कब पानी गांव में घुस जाएगा। गंगा नदी के किनारे कटान भी शुरू हो गया है। इससे गांव वालों की बेचैनी और बढ़ गई है कि किनारे रहने वाले घर काटन के कारण गिर जाएंगे। रामा निहालपुर गांव में हर घंटे लोग गंगा नदी देखने जा रहे
जब हम रामा निहालपुर गांव पहुंचे, तो वहां सन्नाटा पसरा था। एक-दो लोग ही घूमते दिखे। उन्होंने बताया- गंगा नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है। सभी लोग गंगा किनारे गए हैं। जब हम गंगा किनारे पहुंचे तो लोग नदी का जलस्तर देख रहे थे। बोले- अब डर लग रहा है। कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ेगी, जिससे जान बच सके। रामा निहालपुर गांव के एक बुजुर्ग ने कहा- सब मजबूरी है, तो इसे झेलना ही पड़ेगा। इस बार पानी समय से पहले बढ़ रहा है, इसलिए डर ज्यादा लग रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत पालतू पशुओं के चारा को लेकर है। इसके अलावा जब यहां पानी भर जाता है, तो मगरमच्छ तक दिखाई देने लगते हैं। चैनपुरवा गांव में लोगों के खेत गंगा में डूबे
सबसे आखिर में हम चैनपुरवा गांव पहुंचे। यहां लोगों ने बताया- गांव के खेतों का कटान शुरू हो गया है। कई लोगों के खेत गंगा में जलमग्न हो गए हैं। वहीं नत्था पुरवा के राहुल ने बताया कि वह शहर की तरफ नौकरी करने जाता है। जब गांव में बाढ़ का पानी भर जाता है, तो यहां से जाना और यहां आना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए पानी बढ़ जाता है तो मुझे शहर में ही रहना पड़ता है। मैं गांव नहीं आ पाता। अब पढ़िए गांवों में रहने वाले लोगों ने कहा- जागते हुए कटती है पूरी रात
सितारा कहती हैं- बाढ़ का पानी लगातार चढ़ रहा है। बाढ़ से पहले ही हमने घर के बाहर मलबा डलवाया है। रात में अभी घर में ही रह रहे हैं। लेकिन पूरी रात जागते हुए ही बीत रही है। डर लगा रहता है कि रात में पानी चढ़ न जाए और घर छोड़कर जाना पड़े। खतरे के निशान से 2 मीटर दूर गंगा
कानपुर में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा धीरे-धीरे उफान की ओर बढ़ रही। जलस्तर बढ़ने के कारण अटल घाट की सीढ़ियां पानी में डूब गईं हैं। 4 जुलाई को गंगा बैराज की अपस्ट्रीम पर जलस्तर 112.900 मीटर और डाउन स्ट्रीम में 111.580 मीटर रहा। शुक्लागंज की तरफ भी जलस्तर बढ़कर 110.180 मीटर पर पहुंच गया। वहीं, शनिवार को गंगा बैराज के 30 गेटे खोले जाने के बाद 6 जुलाई को गंगा बैराज की अपस्ट्रीम पर जलस्तर 112.600 मीटर और डाउन स्ट्रीम में 111.800 मीटर पर रहा। हरिद्वार से 55 हजार 370 क्यूसेक पानी छोड़ा गया
सिंचाई विभाग के अफसरों ने बताया- 3 जुलाई को हरिद्वार से 55 हजार 370 और नरौरा से 42 हजार 160 क्यूसेक पानी को छोड़ा गया। गुरुवार को जो पानी डिस्चार्ज किया गया है, उसकी मात्रा में कमी आई है। बैराज से 62 हजार 153 क्यूसेक पानी को छोड़ा गया। जिससे शुक्लागंज की तरफ और जलस्तर बढ़ता जा रहा है। शनिवार को जलस्तर बढ़ने के कारण बैराज के गेट खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही गेटों की मरम्मत का कार्य भी जारी है। आपदा प्रबंधन जुगबीर सिंह ने बताया- बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए सारे इंतजाम है। लोगों को कहां ठहराना है या कहां से उन्हें और कैसे ले जाना इन सभी का इंतजाम कर लिया गया हैं। इसके अलावा घाटों पर भी नाविक तैनात हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में इस बार होगी अच्छी बारिश; जून में सामान्य से 11% ज्यादा बरसे बादल, जानिए जुलाई में कैसा रहेगा मानसून यूपी में मानसून की एंट्री 18 जून को हो चुकी है। जून में हर साल के मुकाबले इस बार 11% ज्यादा बारिश हो चुकी है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई में भी उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र को छोड़कर प्रदेश के अन्य भागों में सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। जून के महीने में किन शहरों में कम और ज्यादा बारिश हुई? पिछले 5 साल में किस तारीख को मानसून आया? जुलाई महीने में कैसी स्थिति रहेगी? पेयजल से लेकर नदियों और कृषि पर क्या असर होगा? पढ़िए पूरी खबर 

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