खराब सड़क के खिलाफ 8 गर्भवती महिलाओं ने खोला मोर्चा:सीधी की लीला साहू कर रहीं अगुआई, बोलीं- महिलाओं को कुछ हुआ तो सांसद होंगे जिम्मेदार 

मध्यप्रदेश के सीधी जिले के खड्‌डी खुर्द गांव की 8 गर्भवती महिलाओं ने खराब सड़क के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इनकी अगुआई कर रही है बघेली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लीला साहू, जो खुद भी प्रेग्नेंट है। दरअसल, इस गांव की खराब सड़क को लेकर लीला साहू ने पिछले साल भी आवाज उठाई थी। लीला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें पीएम मोदी से सड़क ठीक करने की गुहार लगाई थी। लीला ने वीडियो में कहा था कि मोदी जी 29 के 29 सांसद जीता दिए अब तो सड़क बना दो। वीडियो सामने आने के बाद सीधी कलेक्टर और सांसद ने सड़क बनाने का भरोसा दिया था, लेकिन एक साल बाद भी सड़क बन नहीं पाई। सड़क को लेकर सोशल मीडिया पर मोर्चा खोलकर आंदोलन कर रही लीला से भास्कर ने बात की। साथ ही अधिकारियों से समझा कि आखिर सड़क क्यों नहीं बन पा रही है। पढ़िए रिपोर्ट एक साल में सर्वे के अलावा कुछ नहीं हुआ
भास्कर से बात करते हुए लीला ने बताया कि पिछले साल 1 जुलाई को मैंने पीएम मोदी को एड्रेस करते हुए वीडियो बनाया था। इसके दो दिन बाद कलेक्टर ने सड़क बनाने का आश्वासन दिया था। बारिश निकल गई, सर्दियां आ गईं तब भी सड़क नहीं बनी। मैंने एक बार फिर याद दिलाई तो मुझे फिर कहा गया कि जल्द ही सड़क का काम शुरू होगा। नया साल लग गया। मार्च के महीने में सड़क का सर्वे हुआ। हम लोगों को लगा कि अब सड़क बन जाएगी, मगर पूरी गर्मी निकल गई। अब एक फिर बारिश शुरू हो गई है तो इस सड़क से अब परेशानी बढ़ गई है। इस बार नितिन गडकरी को शिकायत की
इस बार लीला ने जो वीडियो बनाया है उसमें वह केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एड्रेस कर रही है। इस वीडियो में लीला बघेली भाषा में कह रही है कि देख लो, हमारे गांव खड्डी खुर्द के सड़क के हाल। हमारा गांव सीधी जिले में है। जंगल में है तो क्या हुआ, रोड तो बनना चाहिए। हमारे गांव के लोग कलेक्टर, विधायक, सांसद सभी के पास गए, लेकिन किसी ने नहीं सुना। बारिश में तो हाल और खराब हो जाते हैं। बस पलट जाती है, बाइक चल नहीं पाती, एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती। मैं 9 महीने की गर्भवती हूं, फिर भी आवाज उठा रही हूं। हम लोगों ने तो 29 की 29 सीटें मोदी जी को दी है, लेकिन हमारे यहां का रोड कबाड़ है। नितिन गडकरी जी, आप तो खूब हाईवे बनाते हैं, क्या हमारे यहां की 10 किमी की रोड नहीं बनवा सकते? मैं एक साल से ये बात कह रही हूं, मगर कुछ नहीं हुआ भैया। सड़क के लिए डीपीआर बन गई, आश्वासन मिल गया। रोड कहां है? जो नेता रोड नहीं बनवा पा रहे हैं उन्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। मैं चुप नहीं बैठूंगी, मैं बार-बार दिखाऊंगी और आवाज उठाती रहूंगी। मैं सभी लोगों से कहती हूं, मेरी ये बात मोदी जी तक पहुंचनी चाहिए। गर्भवती महिला की इलाज न मिलने से मौत
लीला बताती हैं कि एक महीना पहले मेरे गांव में एक गर्भवती महिला की समय पर इलाज न मिलने से मौत हो गई। आधी रात को उसकी तबीयत खराब हो गई थी। गांव वालों ने एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन वो समय पर नहीं पहुंच सकी। लीला कहती है कि गांव में अभी भी 7-8 गर्भवती महिलाएं हैं। मैं और मेरी देवरानी भी गर्भवती हैं। मेरा नौवां महीना चल रहा है। गांव से नजदीकी अस्पताल 8 किमी दूर है, वहां तक जाने के लिए कोई सड़क नहीं है, इसी सड़क से जाना होता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा शुरू होगी और उन्हें अस्पताल ले जाने की नौबत आएगी तो फिर कैसे लेकर जाएंगे? बारिश के बाद सड़क की हालत ऐसी हो गई है कि कोई पैदल भी नहीं चल सकता। लीला कहती है कि मेरी जेठानी भी जिस समय प्रेग्नेंट थीं और रात में अचानक उनका पेट दर्द होने लगा तो हमने एम्बुलेंस को कॉल किया। एम्बुलेंस कच्चे रास्ते में फंस गई। जेठानी को ट्रैक्टर पर अस्पताल ले गए। उन्हें और ज्यादा दर्द हुआ। गर्भवती महिलाओं के साथ कुछ गलत हुआ तो सांसद जिम्मेदार
लीला कहती है कि जब पिछला वीडियो वायरल हुआ था तब सांसद राजेश मिश्रा ने मुझे कहा था कि आपके गांव के लिए सड़क की मंजूरी मिल गई है। बारिश के बाद सड़क बनाने का काम शुरू हो जाएगा। मगर, कुछ नहीं हुआ तो मैंने एक वीडियो बनाकर सांसद जी को उनके वादे की याद दिलाई थी। लीला कहती है कि सांसद में रोड बनवाने की हिम्मत नहीं है तो फिर झूठा वादा क्यों किया। पहले बता दिया होता, तो मैं उनसे ज्यादा बड़े नेताओं से मिलती। मैं गर्भवती हूं और मेरे साथ गांव की और भी महिलाएं गर्भवती हैं। इस खराब सड़क की वजह से यदि गर्भवती महिलाओं के साथ कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी सांसद की होगी। मैं पहले से लाइमलाइट में हूं, 50 लाख फॉलोअर्स हैं
लीला कहती है कि लोग कहते हैं कि मैं लाइम लाइट में आने या फिर अपने सोशल मीडिया फॉलोअर बढ़ाने के लिए ऐसा कर रही हूं। जबकि, मेरा मकसद गांव में सड़क लाना है। मैं पहले से ही लाइम लाइट में हूं और पहले से ही वायरल हूं। मेरे 50 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। उनसे पूछा कि क्या वे राजनीति में आना चाहती है तो बोलीं- मैं राजनीति में नहीं आना चाहती हूं। जो समस्या है मैं उसे जिम्मेदारों तक पहुंचाना चाहती हूं। राजनीति में इंसान बंध जाता है। जब आप किसी राजनीतिक दल को जॉइन करते हैं तो उनके हिसाब से चलना पड़ता है। ये करो, ये मत करो। ऐसा कहो, ऐसा मत कहो के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती। लीला का खड्डी खुर्द गांव चुरहट विधानसभा का हिस्सा है। उनसे पूछा कि क्या क्षेत्रीय विधायक से बात हुई है तो बोली- मैंने अपने क्षेत्र के सांसद को कह दिया है तो विधायक को कहने की क्या जरूरत है। सीएम ने मुझसे कहा था, सरकार की योजनाओं का प्रचार करो
लीला कहती है कि इसी साल फरवरी में रीवा में रीजनल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ था। इसमें सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिले के इन्फ्लुएंसर को बुलाया था। मैं भी वहां गई थी। मैंने सीएम से सड़क को लेकर बात नहीं की क्योंकि सांसद ने मुझे सड़क बनाने का आश्वासन दिया था। सीएम ने मुझसे कहा था कि आपके 50 लाख फॉलोअर्स हैं तो आप सरकारी योजनाओं का प्रचार करो। मुझे खुद ही कोई सरकारी योजना नसीब नहीं हुई है तो दूसरों को क्या बताऊं। मुझे पता चल गया कि सरकारी योजनाएं दिखती बहुत अच्छी हैं, लेकिन सच्चाई बहुत अलग होती है। लीला से पूछा कि क्या उन्हें डर नहीं लगता तो बोली कि संविधान ने मुझे अपने अधिकारों के लिए लड़ने और बोलने का हक दिया है। भारत में लोकतंत्र है। यहां सरकारें हमें नहीं चुनती, हम सरकारों को चुनते हैं। वैसे भी मैंने किसी व्यक्ति या नेता को टारगेट नहीं किया है, न ही किसी पर बंदूक तानी है। वह कहती है, हम अपनी मांग तो रखेंगे ही न। जो जिम्मेदार होगा उसी के सामने रखेंगे और वो भी इसलिए, क्योंकि उन्होंने वादा किया था। अधिकारी बोले- हमने सर्वे कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी
भास्कर ने जब एमपीआरआरडीए (मप्र रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी) के डिप्टी इंजीनियर संदीप गुप्ता से बात की तो उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 20 हजार से ज्यादा मजरे टोलों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मुख्य गांव की सड़क से जोड़ने के लिए केबिनेट में प्रस्ताव पास हो गया है। पहले ऐसी कोई योजना नहीं थी। इसकी वजह से खड्डी खुर्द जैसे मजरे टोले तक सड़क बन नहीं पा रही थी। हमने इस योजना के तहत खड्‌डी खुर्द के बगहिया टोला का मार्च 2025 में सर्वे किया गया था। इस सर्वे के बाद इस टोले को मुख्य गांव तक जोड़ने के लिए 5 किमी सड़क की योजना बनी है। उन्होंने कहा, अब काम कब से शुरू होगा ये शासन स्तर पर पता चलेगा, लेकिन हमारे स्तर से सर्वे रिपोर्ट बनाई गई थी जो शासन स्तर पर पहुंच गई है। 

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